कभी अपनी हंसी पर भी आता है गुस्सा
कभी सारे जहान को हँसाने को दिल चाहता हैकभी छुपा लेते है ग़मों को दिल के किसी कोने में
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को दिल चाहता है
कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी
कभी उन्ही आंसू बहाने को दिल चाहता है
कभी हस्सी आ जाती है भीगी यादों में
तो कभी सब कुछ भुलाने को दिल चाहता है
कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद उड़ना
कभी बंधन में सिमट जाने को दिल चाहता है
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