Wednesday, February 27, 2019

कभी उन्ही दिल चाहता है



कभी अपनी हंसी पर भी आता है गुस्सा 
कभी सारे जहान को हँसाने को दिल चाहता है

कभी छुपा लेते है ग़मों को   दिल के किसी कोने में
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को दिल चाहता है

कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी
कभी उन्ही आंसू बहाने को दिल चाहता है

कभी हस्सी आ जाती है भीगी यादों में
तो कभी सब कुछ भुलाने को दिल चाहता है

कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद उड़ना
कभी बंधन में सिमट जाने को दिल चाहता है

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