Friday, March 8, 2019

नारी तुम अद्भुत हो

सरल और साधारण हो
निर्भिक और निर्मल हो
शूल भरे पथ पर पुष्प बिखर सकती हो
अतुलनीय साहस से परिपूर्ण हो
नारी तुम अद्भुत हो .

दया और विश्वास की परिभाषा हो
त्याग और स्नेह की पराकाष्ठा हो
हठ जो कर बैठे तो शिव संगनी हो
असीम विवेक से परिपूर्ण हो
नारी तुम अद्भुत हो.

प्यार हो बहार हो
सुन्दरता व शालीनता की छबि हो
अबला का अर्थ नही ,शक्ति की एक परिभाषा हो
असीम धैर्य से परिपूर्ण हो
नारी तुम अद्भुत  हो

Wednesday, February 27, 2019

शायद तुमको समझा पाऊं


मन मयूर आज मेरा बोल उठा
देख के गहरे नयन उसके
कंही डूब ना जाऊं इनमें मैं
दुनिया पागल है पीछे जिसके

उसकी कोमल मुस्कान को देख
मेरा मन  का पंछी ये कहता
कह दूँ उससे अपनी दिल की बातें
लकिन फिर भी ये दिल जाने क्यों डरता

फिर अगले ही पल सोचती हूँ 
की छोड़ दूँ ये कायरता
कह दूँ उससे आज जो कहना
की तू तो हर वक़्त साथ रहता

अनजाना बन कर आया था वो
इस दिल में कुछ इस कदर बस गया
जाने कब वो अपना लगने लगा
अपनी यादों का सिलसिला छोड़ गया

मैं ना देखूं जब जब उसको
मेरा चंचल जिया मचलता है
और देखे जब  जब किसी और को
मेरा रोम रोम जल उठता है

जब भी उससे मुलाकात होती है
तब वो घडी जन्नत सी होती है
पर दूर उसको जाते देख
ये जन्नत भी कयामत क्यों लगने  है

जब सामने वो मेरे आये
मेरे नैना कतराने लगते है
जब दूर वो मुझसे चला जाये
मिलने की आस लगते है

जब मिलती हूँ उससे
तो कुछ नहीं कह पाती हूँ
क्या मैं शर्माती हूँ
नहीं श्याद अपना  हाल नहीं बता पाती हूँ

इसको प्यार कहूं या दीवानापन 
या फिर उस पागलपन की हद्द कह दूँ
चाहत की शुरुवात कहूं
या मदहोशी का नाम दे दूँ

तुम इस क़द्दर समाये हो दिल में
शब्दों में बयान न कर पाउ
जब सामने तुम मेरे बैठोगे
तो शायद तुमको समझा पाऊं
तो शायद तुमको समझा पाऊं 

कभी उन्ही दिल चाहता है



कभी अपनी हंसी पर भी आता है गुस्सा 
कभी सारे जहान को हँसाने को दिल चाहता है

कभी छुपा लेते है ग़मों को   दिल के किसी कोने में
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को दिल चाहता है

कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी
कभी उन्ही आंसू बहाने को दिल चाहता है

कभी हस्सी आ जाती है भीगी यादों में
तो कभी सब कुछ भुलाने को दिल चाहता है

कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद उड़ना
कभी बंधन में सिमट जाने को दिल चाहता है

भारत के पितामह



वो भीष्म थे नव भारत के 
यमराज भी जिनसे हारे थे | 
स्वतंत्र  दिवस पे ध्वज झुकने ना दिया 
वो पितामह अटल बिहारी थे | 

अमरीका ने फ़ोन किया 
कहा कारगिल पाकिस्तान को दे दो ,
वो गरज के बोले , 
मेरे आधे भारत को झोक के 
तुम पूरा पाकिस्तान मुझे दे दो || 

निडर निष्पक्ष नाम आपके ,
पोखरण से ही विश्व हिल्ला दिया ,
दिल्ली से लाहौर तक 
बस से ही शांति ध्वज लहरा दिया || 

अटल रहे विश्वास हमारा 
आपके ममर्स्पर्शी शब्दों से ,
क्यूंकि राजनीती की समझ आयी 
आपके हर वाक् - चातुर्य भाषण  से || 

खुद को रखा हर राजनीती की कीचड़ से संभल के 
जिसने दिल जीता अपने काम से , 
औरआज भी तिरंगा लपेट के 
वो उसी तरह मुस्कुरा रहे होंगे आसमान से || 

नारी तुम अद्भुत हो

सरल और साधारण हो निर्भिक और निर्मल हो शूल भरे पथ पर पुष्प बिखर सकती हो अतुलनीय साहस से परिपूर्ण हो नारी तुम अद्भुत हो . दया और विश्वास ...